महात्मा गांधी की 3 जून की यात्रा और इसका महत्व

महात्मा गांधी का भारत में सफर
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता रहे हैं। 3 जून 1947 को, भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। उस दिन, ब्रिटिश शासन ने विभाजन की योजना का अनावरण किया, जिसमें भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विभाजित करने का निर्णय लिया गया।
3 जून की योजना का विवरण
3 जून को, फिर से संसदीय सचिव लॉर्ड माउंटबैटन ने विभाजन की योजना को प्रस्तुत किया। इसकी घोषणा ने पूरे देश में हलचल मचा दी। योजना के अनुसार, भारत को दो अलग-अलग देशों में विभाजित करने का प्रावधान था – भारत और पाकिस्तान। यह विभाजन धार्मिक आधार पर किया गया, जिसका अर्थ था कि पाकिस्तान मुस्लिम बहुल होगा और भारत हिंदू बहुल क्षेत्र होगा।
गांधी जी की प्रतिक्रिया
महात्मा गांधी ने इस विभाजन का विरोध किया क्योंकि उन्होंने हमेशा एक समावेशी और एकजुट भारत की विचारधारा को अपनाया। उन्होंने विभाजन की प्रक्रिया के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक Harmony बनाए रखने की अपील की। उनकी चिंताएं सही थीं, क्योंकि विभाजन के बाद देश में सांप्रदायिक हिंसा के कई मामले सामने आए।
निष्कर्ष
3 जून की घटना ने भारत के भविष्य की दिशा को तय किया। विभाजन केवल एक भौगोलिक विभाजन नहीं था, बल्कि यह कई परिवारों को अलग कर देने वाला एक मानवता का संकट भी था। महात्मा गांधी की इस समय की सोच और कार्य ने न केवल उस दौर के संघर्ष को दर्शाया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक संयुक्त और समावेशी भारत बनाने की प्रेरणा भी दी। वर्तमान में, 3 जून केवल एक ऐतिहासिक तिथि नहीं है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि भारत की एकता और विविधता की रक्षा कितनी जरूरी है।