मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे पाटील की जीत, सरकार ने कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग मानी

मराठा आरक्षण का नया अध्याय
मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे-पाटील ने कई धरना और भूख हड़ताल के माध्यम से अपनी मांगों को मजबूती से रखा।
उन्होंने मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण की मांग की और 29 अगस्त 2025 को मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल शुरू की।
सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय
नए निर्णय के अनुसार, जिन मराठा समुदाय के लोगों के पास कृषि भूमि का स्वामित्व प्रमाण नहीं है, वे 13 अक्टूबर 1967 से पहले उस क्षेत्र में रहने का हलफनामा देकर अपनी पात्रता साबित कर सकेंगे। यदि गांव या वंश के किसी रिश्तेदार के पास पहले से कुनबी जाति का प्रमाण पत्र है और वह व्यक्ति हलफनामा देकर संबंध साबित करता है, तो एक समिति वंशावली जांच करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
आंदोलन का समापन और भविष्य
जरांगे-पाटील ने महाराष्ट्र कैबिनेट उप-समिति द्वारा दिए गए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को स्वीकार करते हुए अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी। कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने सरकार का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए मनोज जरांगे का धन्यवाद किया।
हालांकि, जरांगे-पाटील ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार अपने वादे से पीछे हटती है तो वे अपना आंदोलन फिर से शुरू कर देंगे। मराठा समुदाय की शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की लंबे समय से चली आ रही मांग पिछले साल जरांगे-पाटिल के विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल के साथ फिर से सामने आई। इस आंदोलन में हिंसा, आत्महत्याएं और विधायकों के इस्तीफे देखने को मिले।