मराठा आंदोलन की जीत: जरांगे पाटिल ने तोड़ा उपवास, सरकार ने मानी प्रमुख मांगें

मराठा आरक्षण आंदोलन का समापन
मराठा आरक्षण के लिए संघर्षरत नेता मनोज जरांगे पाटिल ने पांच दिवसीय भूख हड़ताल समाप्त कर दी है। उन्होंने देवेंद्र फडणवीस सरकार के साथ वार्ता के बाद यह निर्णय लिया, जो बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा प्रदर्शनकारियों को आजाद मैदान खाली करने के आदेश के बाद एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
सरकार की स्वीकृति और समझौता
महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे की प्रमुख मांग को स्वीकार कर लिया है, जिसमें हैदराबाद गजट को लागू करना शामिल है, जो कुनबी किसानों को मराठा के रूप में पहचानता है। इसके बदले में, सरकार मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े सभी मामलों को वापस लेगी।
जरांगे पाटिल की प्रतिक्रिया
“हमने जीत हासिल की है,” जरांगे ने उपवास तोड़ते हुए कहा और उम्मीद जताई कि सरकार जल्द ही इस संबंध में एक प्रस्ताव लाएगी। उन्होंने जूस पीकर अपना “मरणांतिक उपवास” तोड़ा और महाराष्ट्र कैबिनेट उप-समिति द्वारा दिए गए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को स्वीकार किया। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, “आज हमारे लिए दिवाली है क्योंकि हमें वह मिल गया जो हम चाहते थे।”
मराठा आरक्षण का मुद्दा
मराठा समुदाय सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में 10 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहा था। आजाद मैदान में हजारों लोगों ने इस मांग को लेकर प्रदर्शन किया। आंदोलन के कारण मुंबई के दक्षिणी क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियों में 35-40 प्रतिशत तक की कमी देखी गई, जिससे बैंकों में भी कर्मचारियों की उपस्थिति प्रभावित हुई।