বৃহস্পতিবার, আগস্ট 21

भूमि रिकॉर्ड: उपयोगिता और अद्यतनों पर एक नज़र

0
3

भूमि रिकॉर्ड का महत्त्व

भूमि रिकॉर्ड किसी भी देश में संपत्ति के अधिकारों और दावों का मूल आधार है। यह दस्तावेज भूमि स्वामित्व की पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उचित और सटीक भूमि रिकॉर्ड न केवल संपत्ति विवादों को न्यूनतम करते हैं, बल्कि कृषि और विकास योजनाओं में भी सहायता करते हैं।

हालिया सुधार और अद्यतन

भारत सरकार ने हाल के वर्षों में भूमि रिकॉर्ड में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। “प्रधानमंत्री भूमि रिकॉर्ड क्षेत्रीकरण कार्यक्रम” (PM-KISAN) के तहत भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से अपडेट करने का प्रयास किया जा रहा है। यह कार्यक्रम किसानों को भूमि से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है और उनके लाभ के लिए विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने में सहायक है।

इसके अतिरिक्त, सभी राज्यों में भुइँ रजिस्ट्रार मंच का विकास हो रहा है, जहां नागरिक अपनी भूमि से संबंधित जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रणाली ना केवल पारदर्शिता को बढ़ाती है बल्कि भ्रष्टाचार को भी कम करती है।

स्थानीय और उत्कृष्टता की दिशा में पहल

भूमि रिकॉर्ड की सटीकता इस बात पर निर्भर करती है कि स्थानीय स्तर पर प्रवीण कर्मचारी काम कर रहे हैं या नहीं। कई राज्य सरकारें भूमि सर्वेक्षण में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे जीपीएस और GIS का उपयोग कर रही हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र ने ‘महास्वामिनोर्थ’ नाम की एक ऐप लॉन्च की है, जो यूजर्स को उनके भूमि रिकॉर्ड की जानकारी सीधे मोबाइल में प्रदान करती है।

निष्कर्ष

भूमि रिकॉर्ड के सुधार और अद्यतन केवल स्वामित्व के अधिकार सुनिश्चित नहीं करते, बल्कि आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। भविष्य में, यदि ये सुधार सफल होते हैं, तो यह कृषि, आवास और वाणिज्य के क्षेत्रों में गुणात्मक परिवर्तन ला सकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि सभी नागरिक भूमि रिकॉर्ड की महत्वपूर्णता को समझें और इसका लाभ उठाएं।

Comments are closed.