শনিবার, সেপ্টেম্বর 20

भूमि के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता

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भूमि का महत्व

भूमि मानव सभ्यता के लिए एक अनिवार्य संसाधन है। यह कृषि, आवास, उद्योग, और अनेक अन्य गतिविधियों के लिए आवश्यक है। भूमिगत संसाधनों का महत्व, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की चुनौतियों के साथ, भूमि के समुचित प्रबंधन की आवश्यकता को और बढ़ा देता है। इस विषय पर चर्चा वैश्विक स्तर पर हो रही है, जो इसे अधिक महत्वपूर्ण बनाती है।

वर्तमान स्थिति

भारत में भूमि का उपयोग और संरक्षण एक जटिल मुद्दा है। कृषि भूमि के लगातार ह्रास और शहरीकरण ने भूमि के प्रवृत्तियों में बदलाव किया है। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे उठे हैं, जिसमें किसानों के हितों की सुरक्षा एक बड़ा तथ्य है। वर्तमान में, भारतीय सरकार ने ‘कृषि भूमि के संरक्षण’ के लिए कई पहलें शुरू की हैं, जिससे किसान और भूमि दोनों की भलाई सुनिश्चित हो सके।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ

भूमि के नुकसान के कारण प्रदूषण, मिट्टी का क्षय और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। पिछले कुछ दशकों में, बहुत सी भूमि बंजर हो गई है। वनों की कटाई और कृषि के लिए भूमि का अत्यधिक उपयोग इन समस्याओं को और बढ़ा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, जैव विविधता में कमी आने के साथ-साथ, खाद्य सुरक्षा भी खतरे में है।

भविष्य की दिशा

भूमि का संरक्षण और प्रबंधन केवल सरकारी स्तर पर नहीं बल्कि लोगों की जागरूकता पर भी निर्भर करता है। पर्यावरण संरक्षण, सतत कृषि और प्राकृतिक संसाधनों का विवेचन करते समय, कृषि प्रौद्योगिकी में नवाचारों को अपनाना आवश्यक है।

इसलिए, यह साबित होता है कि भूमि का संरक्षण हमारे भविष्य की नींव है। यदि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपने संसाधनों को बचाना चाहते हैं, तो इसे अनिवार्य रूप से सही एवं सतत तरीके से प्रबंधित करना होगा।

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