বুধবার, জুলাই 23

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की भूमिका

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परिचय

भारत के विदेश मंत्री, डॉ. एस. जयशंकर, ने हाल के वर्षों में भारतीय विदेश नीति को नए आयाम दिए हैं। उनके कार्यकाल में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है, विशेषकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने में। दक्षिण एशिया से लेकर वैश्विक राजनीति तक, उनके दृष्टिकोण और नीतियों ने भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।

हालिया घटनाएँ

डॉ. जयशंकर ने हाल ही में कई देशों के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताएँ की हैं। उन्होंने अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए कई बैठकें की हैं। विशेष रूप से, उन्होंने यूक्रेन संकट पर भारत के तटस्थ रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत शांतिवार्ता का पक्षधर है और वैश्विक शांति को प्राथमिकता देता है।

इसके अतिरिक्त, जयशंकर ने भारत के विकासशील देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने ब्रICS, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और आसियान जैसे बहुपक्षीय प्लेटफार्मों में सक्रिय रूप से भाग लिया है। इस दौरान, उन्होंने औद्योगिक विकास, जलवायु परिवर्तन, और खाद्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

निष्कर्ष

डॉ. एस. जयशंकर की नीतियाँ और कार्य समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनसे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका को कैसे देखता है। उनकी दृष्टि में, भारत एक स्थायी और शांतिपूर्ण दुनिया के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान निभा सकता है। भविष्य में, उनकी रणनीतियाँ न केवल भारत की विदेश नीति को आकार देंगी, बल्कि वह समग्र वैश्विक व्यवस्था में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। इससे भारत की स्थिति और प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होगी, जो कि भारत के नागरिकों के लिए कार्यशीलता और विकास के संभावनाओं को बढ़ाएगा।

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