সোমবার, নভেম্বর 3

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का महत्व

0
5

परिचय

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शख्सियत के रूप में लिया जाता है। वे 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति बने और उनका कार्यकाल 13 मई 1962 तक जारी रहा। डॉ. प्रसाद का जीवन और उनका राजनीतिक कार्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से जुड़ा हुआ है, और वे भारतीय गणराज्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के एक छोटे से गाँव जीरादेई में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्होंने बी.ए. और फिर कानून की डिग्री प्राप्त की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में कई आंदोलनों में भाग लिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में जाने जाने लगे।

राष्ट्रपति पद का कार्यकाल

जब भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ, तो राजेंद्र प्रसाद अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1950 में, उन्होंने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जैसे कि भारत का संविधान लागू होना और कई सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए नीति बनाना। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने और स्थिरता बनाए रखने का प्रयास किया।

महत्व और विरासत

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है। उनका दृष्टिकोण और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका कहना था, “आजादी केवल अपने लिए नहीं है, बल्कि यह दूसरों के लिए भी है।” इस दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने अपने कार्यकाल में लोगों की भलाई और समर्पण को प्राथमिकता दी।

निष्कर्ष

भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने न केवल एक उदार नेता के रूप में कार्य किया, बल्कि एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनकी नीतियों और दृष्टिकोण ने आज के आधुनिक भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए, वे भारतीय इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान पर रहेंगे।

Comments are closed.