রবিবার, আগস্ট 17

भारत का राज्य प्रतीक: सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक

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राज्य प्रतीक का महत्व

भारत का राज्य प्रतीक, जिसमें सिंहासन पर तीन सिंह और Lotus फूल का चित्रण है, देश की एकता, विविधता और सामंजस्य को दर्शाता है। यह प्रतीक भारतीय संविधान के अनुसार भारत की संप्रभुता का प्रतीक है और विभिन्न सरकारी दस्तावेजों एवं आधिकारिक प्रतीकों में इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा, यह हमारी लंबे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर की एक झलक प्रस्तुत करता है।

राज्य प्रतीक की इतिहास

भारत का वर्तमान राज्य प्रतीक 26 जनवारी 1950 को संविधान के लागू होने के साथ आधिकारिक रूप से अपनाया गया। इसका मूल स्वरूप अशोक स्तंभ के चार सिंहों से लिया गया है, जो कि उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित हैं। भारतीय संस्कृति में सिंह को शक्ति, साहस एवं आत्म विश्वास का प्रतीक माना गया है।

क्या दर्शाता है राज्य प्रतीक?

राज्य प्रतीक का प्रमुख अंश चार सिंहों को दर्शाता है, जो एक दूसरे की ओर पीठ करके खड़े हैं। यह एकता और पारस्परिक सहयोग का संकेत है। नीचे के हिस्से में बने चक्र (धर्म चक्र) का अर्थ है, समय और गति का चक्र, जो जीवन के परिवर्तन और अक्षयता का प्रतीक है।

आधिकारिक उपयोग

यह राज्य प्रतीक भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से उपयोग में लाया जाता है। इसे सरकारी दस्तावेजों, मुद्रा, स्टाम्प, और अन्य आधिकारिक वस्तुओं पर देखा जा सकता है। यह प्रतीक हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है और इसके आदान-प्रदान से हमारे राष्ट्र की पहचान और जड़ों को समझने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

राज्य प्रतीक न केवल भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे देश की संस्कृति, इतिहास और लोगों के साथ गहरे जुड़े हुए मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। हमें इसे संरक्षित करने और इसकी गरिमा को बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक प्रेरणा स्रोत बना रहे।

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