মঙ্গলবার, আগস্ট 12

भारतीय ध्वज: गौरव और पहचान का प्रतीक

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भारतीय ध्वज का महत्व

भारतीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक है। यह स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे का प्रतीक है। भारतीय ध्वज के रंग – केसरिया, सफेद, और हरा – देश के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सत्य, जबकि हरा रंग उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है।

ध्वज का इतिहास और विकास

भारतीय ध्वज का पहला प्रारूप 1906 में वस्त्र निर्माता औऱ स्वतंत्रता सेनानी बिपिन चंद्र पाल द्वारा दर्शाया गया था। इसके बाद विभिन्न रूपों में ध्वज ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ, भारतीय ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। इसे डिजाइन करने का श्रेय पिंगली वैंकय्या को दिया जाता है।

ध्वज का आकार और तत्व

भारतीय ध्वज का अनुपात 2:3 है, जिसमें तीन क्षैतिज पट्टियाँ होती हैं। इन पट्टियों में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद, और सबसे नीचे हरा रंग होता है। सफेद पट्टी के बीच में 24 तीरों वाला चक्र, जिसे अशोक चक्र कहा जाता है, स्थित है। यह चक्र धर्म और न्याय का प्रतीक है।

सम्मान और सुरक्षा

भारतीय ध्वज को फहराते समय कुछ नियम और दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। ध्वज को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए, और इसे हमेशा सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए। सरकार ने ध्वज को फहराने के लिए राष्ट्रीय ध्वज संहिता भी निर्धारित की है।

निष्कर्ष

भारतीय ध्वज केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं है; यह एक गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रतीक है। इसकी सुरक्षा और सम्मान हमारी जिम्मेदारी है। इस ध्वज के तले, एकता, विविधता और समानता का संदेश निहित है, जो सभी भारतीयों को एकजुट करता है। आगे चलकर, भारत की पहचान और संस्कृति को बढ़ावा देने में भारतीय ध्वज की स्थिति और भी महत्वपूर्ण होगी।

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