বুধবার, নভেম্বর 26

भारतीय उपराष्ट्रपति: भूमिका और महत्व

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भारतीय उपराष्ट्रपति की भूमिका

भारत के उपराष्ट्रपति की पदवी देश के संविधान में निर्धारित है और यह संविधान के अनुच्छेद 63 से 73 तक वर्णित है। उपराष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के बाद दूसरे स्थान पर होते हैं और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वे भारतीय संसद के उच्च सदन, अर्थात् राज्य सभा के अध्यक्ष भी होते हैं।

महत्वपूर्ण अवसर

हाल ही में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लिया है। ये बैठकें देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण रही हैं। उपराष्ट्रपति द्वारा की गई प्राथमिकताओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, और किमत नियंत्रण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वे अक्सर समाज में सहयोग और सहिष्णुता के लिए आवाज उठाते रहे हैं।

चुनौतियां और अवसर

भारतीय उपराष्ट्रपति को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेषकर देश की राजनीति में ध्रुवीकरण के बढ़ते संकट के बीच। हाल के समय में उन्होंने बातचीत के माध्यम से विवादित मुद्दों को सुलझाने की कोशिशों को आगे बढ़ाया है। इसके अलावा, उपराष्ट्रपति का यह भी कर्तव्य है कि वे संसद में सामंजस्य बनाए रखें।

निष्कर्ष

भारतीय उपराष्ट्रपति की भूमिका केवल एक औपचारिकता नहीं है; यह देश की राजनीति में महत्वपूर्ण असर डालती है। भविष्य में, यह देखना होगा कि उपराष्ट्रपति अपने कार्यों के माध्यम से भारतीय समाज में कैसे बदलाव लाते हैं और राजनीतिक संवाद को कैसे बढ़ावा देते हैं। उनकी भूमिका समग्र रूप से लोकतंत्र की सफलता और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

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