মঙ্গলবার, মার্চ 18

भाई दूज: भाई-बहन के अटूट प्रेम का उत्सव

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भाई दूज का महत्व

भाई दूज, जिसे भाई दूज या भाई तेज द्वितीया भी कहा जाता है, एक भारतीय त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भारत में दिवाली के बाद दूसरे दिन मनाया जाता है और भाई-बहनों के बीच प्रेम एवं स्नेह का प्रतीक है। भाई दूज पर बहनों द्वारा अपने भाइयों को तिलक कर उन्हें लंबी उम्र और खुशियों की कामना की जाती है।

भाई दूज कैसे मनाया जाता है

भाई दूज के दिन, बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष भोजन तैयार करती हैं, जिसमें पकवानों के साथ-साथ मिठाइयाँ भी शामिल होती हैं। संध्या को, बहनें अपने भाई की कलाई पर कलावा बांधती हैं और उन्हें तिलक करके उन्हें मिठाई खिलाती हैं। इसके बाद, भाई अपनी बहन को उपहार प्रदान करते हैं या उन्हें पैसे देते हैं। यह पारंपरिक प्रक्रिया भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए होती है।

भाई दूज के पीछे की परंपरा

भाई दूज का महाकाव्य में धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुनाजी को अपने घर पर आमंत्रित किया था और उस दिन से यह परंपरा शुरू हुई। यमुनाजी ने अपने भाई के लिए विशेष पूजा की थी, जिसके फलस्वरूप भाई दूज का आयोजन आज किया जाता है।

समाज में भाई दूज का योगदान

भाई दूज का त्योहार केवल भाई-बहन के रिश्तों को मनाने वाला नहीं है, बल्कि यह समाज में पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का भी काम करता है। इस दिन परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताकर अपने रिश्तों को और मजबूत बनाते हैं।

निष्कर्ष

भाई दूज समय की एक अनमोल परंपरा है, जो भाई-बहन के बीच स्नेह और सामंजस्य को बढ़ावा देती है। आज के दिनों में, जब रिश्ते अधिकतर डिजिटल माध्यमों पर बनते हैं, भाई दूज जैसे त्योहार हमारे लिए एक अवसर प्रदान करते हैं, जिससे हम अपने परिवार और प्रियजनों के साथ वास्तविक समय बिता सकें। इस पर्व का महत्व आज भी उतना ही है और यह हमें याद दिलाता है की परिवार का प्यार और बंधन सबसे महत्वपूर्ण हैं।

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