মঙ্গলবার, এপ্রিল 15

फाल्गुन पूर्णिमा: हिन्दू धर्म में इसकी महत्ता और उत्सव

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फाल्गुन पूर्णिमा का परिचय

फाल्गुन पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से भक्ति, उदारता और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन, भक्तजन अपने इष्ट देवता को विशेष पूजा अर्पित करते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। भारतीय संस्कृति में इस दिन का खास महत्व है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बढ़ जाता है।

महत्व और परंपराएं

फाल्गुन पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मानी जाती है। इस दिन विशेष पूजा और यज्ञ आयोजित करने की परंपरा है। इसे खासकर भगवान कृष्ण और भगवान राम के प्रति समर्पित माना जाता है। इस दिन भक्तजन अपने घरों में विशेष प्रसाद बनाते हैं और एक-दूसरे के साथ बांटते हैं। कुछ जगहों पर विशेष मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जहां लोग एकत्रित होकर भजन-कीर्तन करते हैं।

वर्तमान में फाल्गुन पूर्णिमा

2023 में फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को मनाई जाएगी। इस अवसर पर कई धार्मिक स्थानों, जैसे वाराणसी, हरिद्वार और गया जैसे शहरों में विशेष आयोजनों का आयोजन किया जाएगा। विभिन्न संप्रदाय और समुदाय इस दिन को अपने तरीके से मनाते हैं, जिसमें सामूहिक पूजा, भजन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं।

निष्कर्ष

फाल्गुन पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों में भक्ति और एकता का संदेश फैलाता है। यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि हमारे समाज की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोता है। इस दिन की मान्यता और पर्व के प्रति श्रद्धा हमें यह अनुभव कराती है कि हमारे पूर्वजों ने हमें किस प्रकार के धार्मिक रीति-रिवाज दिए हैं, जिन्हें आज के समय में भी मनाकर उनकी महत्ता को बनाए रखा जा सकता है।

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