বুধবার, এপ্রিল 2

प्रदोश व्रत कथा: महत्व और धार्मिक प्रसंग

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प्रदोश व्रत का परिचय

प्रदोश व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे हर महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है। इस दिन व्रति श्रद्धालु उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।

प्रदोश व्रत की कथा

प्रदोश व्रत की कथा का वर्णन पुराणों में किया गया है। एक बार, देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। मंथन के दौरान कई अमूल्य वस्तुएं सामने आईं, जिसमें ‘अमृत’ का भी प्रकट होना था। परंतु, पहले समुद्र मंथन से विष निकला, जिसने सारे जगत को प्रभावित किया। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उन्होंनें सबको सुरक्षित रखा। भगवान की इस कृपा को याद करते हुए भक्त इस दिन व्रत करते हैं।

व्रत के महत्व

प्रदोश व्रत का पालन करने से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। जो भी श्रद्धालु इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। इस व्रत में रात्रि के समय शिवलिंग का अभिषेक करने का विशेष महत्व है। भक्त विशेष रूप से ‘महादेव’ का नाम ले कर पूजा करते हैं।

निष्कर्ष

प्रदोश व्रत का पालन करने से न केवल भौतिक लाभ होते हैं, बल्कि यह आत्मिक शांति का भी साधन बनता है। इस दिन भगवान शिव की भक्ति करने से घर-परिवार में खुशियाँ बनी रहती हैं। इसलिए, प्रत्येक भक्त को इस पवित्र व्रत का पालन करने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

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