মঙ্গলবার, জুন 3

पूर्णिमा: एक महत्वूपर्ण तिथि और इसकी धार्मिक मान्यताएँ

0
17

पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा, भारतीय पंचांग के अनुसार चंद्रमा के पूर्ण होने का दिन होता है, जो हर महीने की अंतिम तिथि पर मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा को विशेष रूप से पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का आयोजन किया जाता है, जो समाज में एकजुटता और श्रद्धा का प्रतीक होते हैं।

पूर्णिमा तिथि और उत्सव

भारत में कई त्योहार पूर्णिमा के दिन ही मनाए जाते हैं। जैसे कि गुरु पूर्णिमा, जो गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करती है; और कार्तिक पूर्णिमा, जो खासकर धन-धान्य की प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। त्योहार के अवसर पर लोग विशेष रूप से नदी में स्नान करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह दिन लोगों को अपने दुखों को दूर करने और सुख-शांति की कामना करने का प्रेरणा देता है।

धार्मिक मान्यताएँ

पूर्णिमा के दिन कई धार्मिक मान्यताएँ और परंपराएँ भी प्रचलित हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन किया गया व्रत और पूजा कई गुना अधिक फलदायी होता है। भक्त जन इस दिन उपवास रखकर चंद्रमा की आराधना करते हैं, जिससे उन्हें मानसिक शांति और समर्पण की अनुभूति होती है। कई लोग इस दिन अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए चंद्रमा को देख कर प्रार्थना करते हैं।

निष्कर्ष

पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक घटना है जो लोगों में उत्साह और एकजुटता पैदा करती है। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यक्तिगत और आध्यात्मिक विकास का भी संकेत है। इसलिए, पूर्णिमा पर की जाने वाली पूजा और कर्मकांड का हमारे जीवन में गहरा अर्थ होता है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि हम इस दिन को समर्पण और श्रद्धा के साथ मानें और इसके महत्व को समझें।

Comments are closed.