निरजला एकादशी 2025: महत्व और संयोग

निरजला एकादशी का महत्व
निरजला एकादशी, जिसे हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है, विशेष रूप से हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा और उपवास का समय है, जिसमें भक्त जल का सेवन नहीं करते। इस बार, निरजला एकादशी 2025 में 22 मई को आएगी।
उपवास और धार्मिक अनुष्ठान
निरजला एकादशी का उपवास कठिन माना जाता है क्योंकि भक्त इस दिन साबूदाना, फल, और अपने दैनिक आहार से दूर रहते हैं। इसके तहत, भक्त केवल भगवान के नाम का जाप करते हैं और ध्यान में लीन रहते हैं। इस दिन के दौरान, भक्त विशेष रूप से भगवान विष्णु के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं। यह माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से समस्त पापों का नाश होता है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निरजला एकादशी का सांस्कृतिक प्रभाव
इस पर्व के दौरान न केवल धार्मिक आस्था का महत्व है बल्कि यह परिवारों के लिए भी एक जुटता का दिन है। भक्तगण एकत्रित होते हैं, भक्ति गीत गाते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। कई स्थानों पर मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं, जहाँ भक्तों के लिए भंडारा और प्रवचन का आयोजन किया जाता है। यह धर्म और संस्कृति के समागम का प्रतीक है।
निष्कर्ष
निरजला एकादशी 2025 हमारे जीवन में आध्यात्मिकता और धार्मिकता लाने का एक अवसर है। इस पर्व का पालन कर हम न केवल अपने पापों को मिटा सकते हैं बल्कि अपने जीवन में शांति और समृद्धि भी ला सकते हैं। इस दिन की उपासना से जन सामान्य में भक्ति भाव और सहिष्णुता का संदेश फैलता है, जो सामाजिक और धार्मिक एकता के लिए आवश्यक है।