द्रौपदी मुर्मू: भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति

द्रौपदी मुर्मू का परिचय
भारत की राजनीति में एक नया अध्याय तब शुरू हुआ जब द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को देश की राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं, जो अपने कार्यों और नीतियों से न केवल आदिवासी वर्ग, बल्कि समस्त भारतीयों को प्रेरित कर रही हैं।
राजनीतिक करियर का सफर
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज में हुआ। बचपन से ही उन्होंने शिक्षा की महत्वता को समझा और अपने गांव की प्रथाओं को चुनौती दी। उन्होंने 1979 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) में शामिल हुईं और धीरे-धीरे विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचीं। 2015 में, उन्होंने ओडिशा के राज्यपाल का पद संभाला।
राष्ट्रपति पद पर दृष्टिकोण
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जैसे कि शिक्षा का अधिकार, विशेषकर आदिवासी और पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि आदिवासी पहचान और संस्कृति को बढ़ावा मिले। उनके कार्यों में गाँवों के विकास और स्वच्छता अभियान को प्राथमिकता दी जा रही है।
भविष्य की योजनाएँ
उनका कहना है कि सभी वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और विकास के प्रति समर्पित रहना उनके प्रशासन का मुख्य उद्देश्य होगा। उनके नेतृत्व में, भारत में समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में कई सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
निष्कर्ष
द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना केवल उनके व्यक्तिगत करियर की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह समस्त आदिवासी समाज के लिए गर्व का विषय है। वे कई महिलाओं और युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। आने वाले समय में, उनके कार्यों और नेतृत्व से भारत में सामाजिक बदलाव देखने को मिल सकता है, जो सभी वर्गों के लिए फायदेमंद होगा।