दीपावली: रोशनी, समृद्धि और उत्सव का पर्व

दीपावली का महत्व
दीपावली, जिसे दीवाली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे बड़े और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अन्य धर्मों के लोग भी इसमें शामिल होते हैं। दीपावली का पर्व रौशनी और समृद्धि का प्रतीक है, और यह अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का संदेश देता है।
समारोह का इतिहास और पारंपरिक रिवाज़
दीपावली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास में मनाया जाता है, और इसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएँ और किंवदंतियाँ हैं। हिंदू धर्म में इसे भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाने की परंपरा है। इस दौरान लोग घरों को दीपों और रंगोली से सजाते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर आतिशबाज़ी का आयोजन भी होता है, जिससे वातावरण और भी खुशनुमा हो जाता है।
आधुनिकता का प्रभाव
आजकल, दीपावली का उत्सव केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया है। यह संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जो समाज के सभी वर्गों को जोड़ता है। इसके साथ ही, दीपावली का पर्व अब पर्यावरण के प्रति जागरूकता का एक अवसर भी बन गया है। कई लोग अब दीवाली को पारंपरिक तरीके से मनाने के बजाय, प्रदूषण रहित आतिशबाज़ी और सजावट का चयन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
दीपावली भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का एक अभिन्न हिस्सा है, जो प्रेम, एकता और शांति का संदेश फैलाता है। यह हम सभी को याद दिलाता है कि अंधकार में हमेशा एक प्रकाश होता है, और यह प्रकाश केवल दीपों में ही नहीं, बल्कि हमारे दिलों में भी होना चाहिए। दीपावली का यह पर्व हर साल हमें संजीवनी शक्ति देता है और समाज में मेलजोल और समृद्धि को प्रोत्साहित करता है।