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दीपावली: भारत में उत्सव और उसकी विशेषताएं

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दीपावली का महत्व

दीपावली, जिसे ‘दीपों का पर्व’ भी कहा जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच मनाया जाता है। यह उत्सव विशेष रूप से अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है और इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न प्रकार से मनाया जाता है। दीपावली का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह परिवारों के लिए एक साथ आने और खुशियों को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।

दीपावली के तीन प्रमुख दिन

दीपावली का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन ‘धनतेरस’, लोग धन और समृद्धि के लिए पूजा करते हैं। दूसरे दिन ‘नरक चतुर्दशी’ या ‘छोटी दीपावली’ होती है, जिसे लोग पवित्रता के लिए विशेष रूप से पूजा करते हैं। तीसरे दिन ‘दीपावली’ होती है, जब लोग घरों में दीप जलाते हैं और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अंतिम दिन ‘भाई दूज’ है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत किया जाता है।

दीपावली की तैयारी

दीपावली के त्योहार के लिए लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दीयों और रंगोली से सजाते हैं, और मिठाई बनाते हैं। बाजार में लोगों की भीड़ बढ़ जाती है, क्योंकि वे नए कपड़े, दीये और मिठाइयां खरीदते हैं। यह समय परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियों को साझा करने का भी होता है।

भविष्य में दीपावली

जैसा कि दीपावली का त्योहार समय के साथ विकसित हो रहा है, इसके साथ ही इसमें आधुनिकता का स्पर्श भी जुड़ रहा है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता ने लोगों को ऊर्जा की बचत करने वाले और पर्यावरण के अनुकूल दीयों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, महामारी के कारण डिजिटल उपहारों और ऑनलाइन उपहार देने का चलन भी बढ़ा है।

दीपावली न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी उदाहरण है। यह हर व्यक्ति के लिए खुशी और समृद्धि का संदेश लेकर आता है।

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