শনিবার, আগস্ট 16

दिवाली: रोशनी का त्योहार और उसका महत्व

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दिवाली का महत्व

दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। दिवाली का पर्व हिन्दू धर्म के साथ-साथ जैन, सिख और बौद्ध समुदायों में भी मनाया जाता है। यह त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम से आयोजित होता है और विशेष रूप से कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली के त्यौहार का इतिहास

दिवाली का पर्व विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कई कथाएं प्रस्तुत करता है। हिन्दू धर्म में इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के और रावण का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे माता लक्ष्मी की पूजा के लिए भी माना जाता है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। इसके अतिरिक्त, जैन धर्म में यह पर्व महावीर स्वामी के मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है।

दिवाली के उत्सव की विशेषताएँ

दिवाली के त्योहार पर लोग अपने घरों को साफ-सुथरा और रोशनी से सजाते हैं। घरों में दीपक और रंगोली सजाने की परंपरा है। इस दिन लोग एक-दूसरे को मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और सलाम करते हैं। लोग पटाखे जलाते हैं, जिससे आसमान में रंग-बिरंगी रोशनी फैलती है।

आधुनिक दिवाली

आजकल, दिवाली के उत्सव में डिजिटल और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का भी ध्यान रखा जा रहा है। पटाखों के जोरों में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है, इसलिए कई लोग पटाखों के स्थान पर सुरक्षित और पर्यावरण-friendly विकल्पों का चयन कर रहे हैं।

निष्कर्ष

दिवाली केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना चाहिए। आगे आने वाले सालों में, उम्मीद है कि दिवाली का यह उत्सव हर बार पहले से बेहतर रूप में मनाया जाएगा और सबको एक साथ लाएगा।

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