दिवाली: प्रकाश और खुशियों का पर्व

दिवाली का महत्व
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख और खुशहाल पर्व है। यह प्रकाश के पर्व के रूप में प्रसिद्ध है, जो अंधकार से प्रकाश, असत्य से सत्य और अनहोनी से होनी की ओर जाने का प्रतीक है। दिवाली का त्यौहार हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। यह पर्व न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा बल्कि जैन और सिख समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है।
दिवाली परंपराएँ और उत्सव
दिवाली के दौरान, लोग अपने घरों को दीपों और मोमबत्तियों से सजाते हैं। यह पर्व लक्ष्मी पूजा के साथ जुड़ा हुआ है, जहां लोग देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए अपने घरों को स्वच्छ और उज्ज्वल रखते हैं। इस अवसर पर, मीठे पकवान और स्नैक्स बनाए जाते हैं, और परिवार एवं दोस्तों के साथ बांटे जाते हैं। लोग एक-दूसरे को मिठाई और टोकरियाँ भेंट करते हैं, और आतिशबाज़ियों का आकाशीय प्रदर्शन भी किया जाता है।
वर्तमान में दिवाली
2023 में, दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी। देश भर में यह त्योहार महत्त्वपूर्ण अर्थव्यवस्थागत कारकों में से एक रहा है, क्योंकि खुदरा क्षेत्र में दिवाली के दौरान उच्च बिक्री होती है। उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी होती है, और व्यवसायों का लाभ होगा, और लोग अपने घरों के लिए नए सामान खरीदते हैं।
दिवाली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
दिवाली का त्यौहार न केवल व्यक्तिगत आनंद का प्रतीक है, बल्कि यह सामूहिकता और एकता का भी परिचायक है। इस अवसर पर, लोग भेदभाव को भुलाकर एक-दूसरे के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद लेते हैं। दिवाली का पर्व भारतीय समाज में विभिन्नता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करता है।
निष्कर्ष
दिवाली का त्यौहार हम सभी को एकजुट करता है और सामूहिक खुशियों को मनाने का अवसर प्रदान करता है। यह न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि हमारी भारतीय संस्कृति की जड़ों को भी दर्शाता है। आने वाले वर्षों में, उम्मीद है कि दिवाली का उत्सव और भी अधिक रंगीन और समृद्ध होगा।