दशहरा और रावण दहन: बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव

दशहरा का परिचय
दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार दशहरे के दिन मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म के अनुसार, हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को आता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
रावण दहन की परंपरा
दशहरा के अवसर पर रावण दहन की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। रावण, जो कि महाकाव्य रामायण का एक संदर्भ है, को बुराई का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान राम द्वारा रावण पर विजय प्राप्त करने की कहानी को सामने लाने के लिए उसकी विशाल प्रतिमा का दहन किया जाता है। यह आयोजन न केवल दर्शकों के लिए मनोरंजन का एक मामला होता है, बल्कि यह नैतिक शिक्षा का भी माध्यम है।
वर्तमान संदर्भ में दशहरा
हाल के सालों में, दशहरा का महत्व और भी बढ़ गया है। कोरोनावायरस महामारी के कारण, 2020 और 2021 में इस त्योहार का उत्सव बड़े पैमाने पर रद्द या सीमित कर दिया गया था। लेकिन 2022 में, उत्सव फिर से जोर-शोर से मनाने का प्रयास किया गया। इस साल भी, रावण के पुतले का दहन समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देने के लिए फिर से आयोजित किया जा रहा है।
निष्कर्ष
दशहरा और रावण दहन न केवल एक धार्मिक पर्व हैं, बल्कि ये हमारे लिए यह संदेश भी देते हैं कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह त्योहार हमें एकजुटता, परिवार और सामुदायिक संबंधों की अहमियत को समझाने में भी मदद करता है। भविष्य में, इस पर्व का महत्व और भी बढ़ता रहेगा, क्योंकि यह याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा हावी होती है।