সোমবার, সেপ্টেম্বর 29

दशहरा: अच्छाई की बुराई पर विजय का पर्व

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दशहरा का महत्व

दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख हिन्दू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, भगवान राम द्वारा रावण के वध की कथा का स्मरण किया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है और समाज में नैतिकता एवं धर्म की विजय का उत्सव है।

आधुनिक समय में दशहरा

इस साल, भारत के विभिन्न हिस्सों में दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिसमें सीमित संख्या में लोग भीड़ में शामिल हो रहे हैं। कोविड-19 महामारी के चलते, पिछले कुछ वर्षों में दशहरा पर्व पर कई सीमाएं रही हैं, लेकिन इस वर्ष पूरी ताकत के साथ आयोजनों की योजना बनाई गई है। पर्यटकों और भक्तों के लिए विभिन्न आयोजन, जैसे राम लीला, रावण के पुतले का दहन, और संस्कृति के प्रदर्शन के आयोजन किए जा रहे हैं।

दशहरा: सांस्कृतिक कार्यक्रम

दशहरा पर्व के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। रामलीला और नाटकों के माध्यम से लोग राम के जीवन को दर्शाते हैं और भगवान राम द्वारा रावण के वध की कथा को जीवित रखते हैं। देश के कई हिस्सों में, लोग दशहरा के मौके पर अपने घरों में विशेष मेहमानों के लिए साज-सज्जा करते हैं और पारंपरिक व्यंजन तैयार करते हैं।

निष्कर्ष

दशहरा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब लोग एकजुट होकर खुशियों का पता लगाते हैं और बुराई का विरोध करते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें सदैव सचाई और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। आगामी वर्षों में, इस त्योहार की पारंपरिक महत्ता और भी महत्वपूर्ण होती जाएगी, जिसका उद्दीपन सामुदायिक एकता और जागरूकता में होगा।

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