বুধবার, সেপ্টেম্বর 24

दशहरा: अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक

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दशहरा का महत्व

दशहरा, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्योहार हर साल अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार रामायण के अनुसार भगवान राम की रावण पर जीत का प्रतीक है, जो बुराई और अन्याय का प्रतिनिधित्व करता है। यह दिन दर्शाता है कि अच्छे कार्यों को हमेशा बुरे कार्यों पर विजय प्राप्त होती है।

दशहरा के समारोह

दशहरा के अवसर पर, पूरे भारत में कई समारोह आयोजित किए जाते हैं। प्रमुख रूप से, रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई पर विजय का प्रतीक होता है। इस दौरान, रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भगवान राम, सीता और रावण की कहानी का अभिनय किया जाता है। यह नाटकीय प्रस्तुति लोगों को धार्मिक और नैतिक शिक्षा देती है।

संस्कृति और परंपरा

दशहरा का त्योहार न केवल धार्मिक अपितु सांस्कृतिक भी है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, परिवार और मित्रों के साथ मिलकर अपने घरों में पूजा करते हैं। मेले का आयोजन भी होता है, जहाँ भारतीय कला और हस्तशिल्प के सामान बिकते हैं। इस त्योहार से जुड़े विभिन्न रिवाज और परंपराएँ देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न होती हैं।

निष्कर्ष

दशहरा का त्योहार न केवल धार्मिक भावनाओं को जगाता है, बल्कि यह सामाजिक बंधनों को भी मजबूत करता है। यह समय है जब लोग मिलकर बुराई के खिलाफ एकजुट होते हैं और अच्छाई के प्रतीक का जश्न मनाते हैं। आने वाले वर्षों में भी, इस त्योहार का महत्व बना रहेगा, क्योंकि यह व्यक्ति को अच्छाई और नैतिकता की ओर प्रेरित करता है।

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