दशहरा: अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व
दशहरा का महत्व
दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार हर वर्ष शरद ऋतु में मनाया जाता है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यह दिन भगवान राम की बुराई के प्रतीक रावण पर विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों में उत्सव मनाते हैं और विभिन्न सांसकृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
आधुनिक समय में दशहरे का उत्सव
दशहरा पूरे देश में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह दिन भव्य रामलीला के मंचन और रावण, मेघनाद और कुम्भकरण का दहन करने के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे नव रात्रि के अंतिम दिन के रूप में मनाते हैं। यह समय परिवारों और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाने का भी होता है।
दशहरा और उसकी परंपराएं
दशहरे की अनेक परंपराएं हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयों का आनंद लेते हैं। इसके अलावा, इस दिन बुराई के प्रतीक को जलाकर, अच्छाई की विजय का जश्न मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संस्कृति के बुनियादी सिद्धांतों का अनुसरण करता है, जिसमें अच्छाई की हमेशा जीत होती है।
निष्कर्ष
दशहरा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमें यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छे का सामना करें। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि अपने जीवन में हम सदा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलें। आगामी दशहरे पर, सभी को शुभकामनाएं, और यह पर्व आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।