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दंगल: भारतीय खेल सिनेमा की एक नई परिभाषा

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दंगल का परिचय

फिल्‍म ‘दंगल’, जिसका निर्देशन नितेश तिवारी ने किया है, भारतीय खेल सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है। 2016 में रिलीज हुई इस फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर अपार सफलता प्राप्त की, बल्कि यह उन मुद्दों पर भी रोशनी डालती है जो समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे महिलाओं को खेल में शामिल करना और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाना।

फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी महावीर फोगाट पर आधारित है, जो एक पूर्व पहलवान हैं, जो अपनी बेटियों, गीता और बबिता को कुश्ती में प्रशिक्षित करते हैं। महावीर का यह सपना है कि उनकी बेटियां भारत के लिए कुश्ती में मेडल जीते। फिल्म ने दर्शाया है कि कैसे उन्होंने पारंपरिक सोच को चुनौती दी और अपने बेटियों को एक नई पहचान दिलाने के लिए संघर्ष किया।

सामाजिक प्रभाव

‘दंगल’ केवल एक खेल फिल्म नहीं है; यह एक सामाजिक टिप्पणी भी है। इसने भारतीय समाज में बेटियों के प्रति नजरिए में बदलाव लाने में मदद की है। गीता फोगाट की ओलंपिक में सफलता ने न केवल खेल के प्रति युवाओं को प्रेरित किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।

फिल्म की सफलता

फिल्म ने लगभग 2000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की, जिससे यह दर्शकों के बीच एक सुपरहिट बन गई। ‘दंगल’ ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रशंसा प्राप्त की। इसकी कहानी और दृष्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ने में मदद की।

निष्कर्ष

फिल्म ‘दंगल’ ने भारतीय सिनेमा में खेल और महिलाओं की भूमिका पर profound ध्यान केंद्रित किया है। इसकी सफलताओं और समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के जरिए, यह फिल्म आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, ‘दंगल’ की जैसी कहानियाँ हमें प्रेरित करने और समाज में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

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