বুধবার, মে 21

त्रिरंगा: हमारे राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

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भारत का त्रिरंगा

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे आमतौर पर ‘त्रिरंगा’ कहा जाता है, तीन रंगों के साथ बना हुआ है: केसरिया, सफेद और हरा। इसकी स्थापना 22 जुलाई 1947 को हुई थी और यह स्वतंत्रता संग्राम के विचारों और मूल्यों का प्रतीक है। त्रिरंगे के केसरिया रंग का प्रतीकत्व देश की बहादुरी और बलिदान को दर्शाता है, जबकि सफेद रंग शांति और सत्य को दर्शाता है। हरा रंग समृद्धि और उर्वरता का प्रतीक है।

महत्व और अर्थ

त्रिरंगा न केवल हमारे देश का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे समाज की विविधता, संस्कृति और एकता को भी दर्शाता है। यह स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों का प्रतीक है। बच्चों से लेकर वयोवृद्ध तक, सभी के लिए त्रिरंगा गर्व का विषय है। जब हम इसे फहराते हैं, तो यह हमारे दिलों में देशभक्ति की भावना को जागृत करता है।

आधुनिक संदर्भ

हाल ही में, केंद्र सरकार ने ‘हर घर त्रिरंगा’ अभियान शुरू किया है, जिसके तहत सभी नागरिकों से अपने घरों में त्रिरंगा फहराने की अपील की गई है। यह पहल स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर की जा रही है और इसका उद्देश्य देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना को नया उत्साह देना है। यह अभियान, तेजी से डिजिटल माध्यमों के माध्यम से फैल रहा है, जहाँ लोग सोशल मीडिया पर अपने त्रिरंगे के साथ तस्वीरें साझा कर रहे हैं।

निष्कर्ष

त्रिरंगा हमारे देश का गर्व और पहचान है। यह न केवल एक कपड़ा है, बल्कि हमारे इतिहास, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज के प्रति इस गर्व को बनाए रखना चाहिए और इसे सम्मान के साथ फहराना चाहिए। आने वाली पीढ़ियाँ भी इस ध्वज को देखकर अपने देश के प्रति इसी प्रेम और सम्मान का अनुभव करेंगी।

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