সোমবার, ফেব্রুয়ারি 24

झंडा फहराने की परंपरा और उसकी महत्वता

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झंडा फहराने का महत्व

झंडा फहराने की परंपरा किसी भी राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह न केवल स्वतंत्रता और महान्यूलता का प्रतीक है, बल्कि यह राष्ट्रीय पहचान और एकता को भी दर्शाता है। 2023 में, भारत में झंडा फहराने की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है, जो नागरिकों के बीच देशभक्ति के जज्बे को दर्शाती है।

हाल के घटनाक्रम

इस साल आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत, देशभर में विभिन्न समारोहों में झंडा फहराया गया। इन समारोहों के दौरान, लोगों ने एकत्रित होकर जयकारा लगाया और अपने-अपने क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री ने झंडा फहराते हुए एकता और अखंडता का संदेश दिया।

झंडा फहराने की प्रथाएँ

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा, केवल एक कपड़ा नहीं है। यह संस्कृति, गरिमा और बलिदान का प्रतीक है। झंडा हमेशा ऊँचाई पर फहराने की प्रथा है, जो सम्मान और गर्व का प्रतीक माना जाता है। विभिन्न त्योहारों, समारोहों और विशेष अवसरों पर यह फहराया जाता है।

भविष्य की दिशा

आने वाले समय में, झंडा फहराने के समारोहों की प्रासंगिकता और भी बढ़ेगी। यह न केवल लोगों को एकजुट करने का काम करेगा, बल्कि आगामी पीढ़ियों के लिए देशभक्ति को भी प्रेरित करेगा। झंडा फहराने का यह क्रियाकलाप विद्यार्थियों में भी जागरूकता बढ़ाने का एक साधन बन सकता है।

निष्कर्ष

झंडा फहराना केवल एक समारोह नहीं है, बल्कि यह सामूहिक पहचान, गौरव और जिम्मेदारी की भावना को उजागर करता है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, यह सुनिश्चित करना हमारे लिए आवश्यक है कि हम इस परंपरा को जीवित रखें और नई पीढ़ी को इसका महत्व समझाएं।

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