শনিবার, সেপ্টেম্বর 13

जितिया कब है: तिथि और पर्व का महत्व

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जितिया पर्व का महत्व

जितिया पर्व एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से माताओं द्वारा उनके बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। ज्यादातर यह पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘कौओं की पूजा’ से जुड़ा होता है।

जितिया कब है?

इस वर्ष जितिया पर्व 2023 में 22-23 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा, जो ‘अमावस्या’ तिथि के दौरान पड़ता है। यह त्योहार विशेषकर श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन मां अपने बच्चों के लिए उपवासी रहकर विशेष अनुष्ठान करती हैं।

पर्व की तैयारी और अनुष्ठान

जितिया के दिन, माताएं संपूर्ण दिन उपवास रखती हैं और शाम को ‘पक्षी पूजा’ करती हैं। इस दौरान वे कौवों को भोजन कराती हैं, जिसे ‘कौआ भोजन’ कहा जाता है। यह परंपरा बच्चों के लिए माताओं के असीम प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। वहीं, इस अवसर पर विशेष पकवान जैसे ‘लड्डू’, ‘पूड़ी’ और ‘साग’ बनाए जाते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

जितिया न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और पारिवारिक बंधनों को भी मजबूत करता है। इस अवसर पर पूरे परिवार के सदस्य एकत्रित होते हैं और पूजा-पाठ में शामिल होते हैं। यह पर्व माताओं और बच्चों के रिश्ते को उजागर करता है और मातृभूमि की महत्वता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

जितिया पर्व का महत्व हिंदू संस्कृति में विशेष स्थान रखता है। यह माताओं द्वारा अपने बच्चों के लिए असीम प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस त्योहार को मनाकर, हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं और आने वाली पीढ़ियों को भी इसे मानते रहने का संदेश देते हैं। इस दिन को विशेष रूप से मनाने से हम अपने परिवारों में प्रेम और एकता को और मजबूत करते हैं।

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