जर्मनी की अर्थव्यवस्था में नया मोड़: आर्थिक सुधार और भविष्य की चुनौतियां

परिचय
जर्मनी, जो यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रही है, अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। हाल के वर्षों में देश की आर्थिक गति धीमी पड़ी है और लगातार दो वर्षों के संकुचन के बाद, जर्मनी को अब महत्वपूर्ण संरचनात्मक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान आर्थिक स्थिति
निजी खपत आर्थिक विकास के लिए सीमित समर्थन प्रदान कर रही है, क्योंकि उपभोक्ता भावना कम बनी हुई है। 2025 और 2026 में, टैरिफ और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितता खपत, निवेश और निर्यात पर दबाव डालने की संभावना है।
जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्री कैथरीना रीशे के अनुसार, देश को बुनियादी ढांचे में एक दशक के निवेश की आवश्यकता है, जिसमें पुल, ऊर्जा बुनियादी ढांचा, भंडारण, समुद्री बुनियादी ढांचा और दूरसंचार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए गति और निजी पूंजी की आवश्यकता है।
नई सरकार की पहल
नई जर्मन गठबंधन सरकार, जिसमें क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU), क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU), और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) शामिल हैं, ने एक नया गठबंधन समझौता किया है। फ्रेडरिक मर्ज़ के जर्मन चांसलर के रूप में चुनाव के साथ, देश की आर्थिक वापसी की सावधान उम्मीदें जगी हैं। गठबंधन ने कॉर्पोरेट कर में कटौती, नियमों को सरल बनाने और महत्वाकांक्षी ऊर्जा और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश के साथ एक व्यवसाय-समर्थक एजेंडा का वादा किया है।
भविष्य की संभावनाएं
सरकार ने रणनीतिक निवेश को मजबूत करने के लिए एक अतिरिक्त “जर्मनी फंड” की स्थापना की पहल की है। सरकार 10 बिलियन यूरो प्रदान करने का इरादा रखती है और स्केल-अप और युवा उद्यमियों में निवेश के लिए 100 बिलियन यूरो जुटाने की उम्मीद करती है। गठबंधन समझौता आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक क्षेत्र पर अपना समर्थन केंद्रित करता है।
हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं। जर्मनी की विकास दर अब केवल 0.1 प्रतिशत पर अनुमानित है। 2026 के लिए अर्थशास्त्रियों का अधिक आशावादी अनुमान 1.0 प्रतिशत से अधिक विकास का है, लेकिन यह अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध की धमकी और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण सापेक्षिक स्थिरता की धारणा पर आधारित है, जिसकी गारंटी नहीं दी जा सकती।









