जनरल डायर: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विवादास्पद भूमिका

परिचय
जनरल रेजिनाल्ड डायर, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक विवादास्पद व्यक्तित्व हैं। उनकी भूमिका, विशेषकर जलियांवाला बाग हत्याकांड में, भारतीय इतिहास पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ गई थी। इस घटना ने भारतीयों के बीच अंग्रेजी शासन के प्रति असंतोष और प्रतिरोध की भावना को जन्म दिया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
13 अप्रैल 1919 को, जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा पर हमला किया। डायर ने बिना किसी चेतावनी के अपनी सेना को गोलियां चलाने का आदेश दिया, जिसमें हजारों लोग मारे गए। यह घटनाक्रम न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख मोड़ था, बल्कि यह विश्वभर में अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ आक्रोश को भी भड़का गया।
प्रतिक्रिया और परिणाम
जलियांवाला बाग के नरसंहार के बाद, डायर को कुछ समय तक राजनीति में समर्थन मिला, लेकिन बाद में उनकी कार्रवाई की निंदा की गई। इस घटना ने अंग्रेजों के प्रति भारतीयों में घृणा पैदा कर दी और महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने असहमति के तरीकों को अपनाया। स्वतंत्रता संग्राम को बल मिला और आंदोलनों की एक श्रृंखला शुरू हुई।
निष्कर्ष
जनरल डायर की भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में जानी जाती है। उनकी कार्रवाई ने न केवल उस समय के इतिहास को प्रभावित किया, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे अत्याचार एक आंदोलन को जन्म देता है। आने वाले समय में, यह घटना कांग्रेस और अन्य राजनीतिक आंदोलनों को मजबूत करने में मददगार साबित हुई। जनरल डायर की कार्रवाई को आज भी एक चेतावनी के रूप में देखा जाता है, कि किसी भी सरकार को अपने नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।