সোমবার, অক্টোবর 27

छठ पूजा: छठी माई के साथ सूर्य देवता की आराधना

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छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा, जो मुख्यतः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मनाई जाती है, एक अति प्राचीन पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देवता और छठी माई की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। छठ पूजा का आयोजन हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को होता है। इस पर्व का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह सामाजिक और सामूहिक एकता का प्रतीक भी है।

छठ पूजा की विशेषताएँ

छठ पूजा का पालन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह पर्व विशेष उपवास, स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने से जुड़ा होता है। श्रद्धालु दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को व्रत सम्पन्न करते हैं। पूजा का मुख्य स्थान जल के किनारे होता है, जहाँ श्रद्धालु गंगा, गंडक जैसे नदी या तालाबों में जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

2023 में छठ पूजा

इस वर्ष, छठ पूजा का उत्सव 19 से 22 नवंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान लोग साफ-सफाई के काम में जुट जाते हैं और सामूहिक रूप से नदियों के किनारे बैठकर सूर्य देव की पूजा करते हैं। खास बात यह है कि, इस पूजा में महिलाओं की प्रमुख भूमिका होती है और वे इस अवसर पर अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं।

समापन

छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह हमारे पारंपरिक व्यंजनों, सांस्कृतिक धरोहर और पारिवारिक बंधनों का भी प्रतीक है। इस पर्व के दौरान आपसी सहयोग और भाईचारे को बढ़ावा दिया जाता है। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, छठ पूजा का महत्त्व और जगह दुनिया भर में बढ़ता जा रहा है, जिससे यह निश्चित रूप से भारतीय समाज की विशेष पहचान बन गया है।

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