चंद्रघंटा देवी: शक्ति और साहस की प्रतीक

चंद्रघंटा देवी का महत्व
नवरात्रि के पर्व पर हर दिन एक देवी की विशेष पूजा होती है। तीसरे दिन, चंद्रघंटा देवी की आराधना की जाती है। चंद्रघंटा देवी, दुर्गा माँ का एक दिव्य रूप हैं, जो अपने स्वरूप और शक्तियों से भक्तों को संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा देती हैं।
चंद्रघंटा देवी का स्वरूप
चंद्रघंटा देवी के सिर पर एक घंटे का आकार है, जिससे उनका नाम “चंद्रघंटा” पड़ा। उनके पास तीन आंखें और दस हाथ हैं। यह स्वरूप साहस, शक्ति और करुणा का प्रतीक है।
आराधना की विधि
चंद्रघंटा देवी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि में की जाती है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, फूल, फल, और विशेष भोग चढ़ाते हैं। इसके साथ ही, देवी की चालीसा और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा करने से भय और नकारात्मकता दूर होती है।
निष्कर्ष
चंद्रघंटा देवी की आराधना न केवल आध्यात्मिक दृढ़ता प्रदान करती है, बल्कि यह मानसिक शक्ति और साहस भी देती है। नवरात्रि के दौरान चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से भक्त कठिनाईयों का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं। यह पर्व समाज को एकजुट करने और प्रतिकूलताओं पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है।