শনিবার, আগস্ট 2

ग्रे मार्केट: समझें इसके प्रभाव और संभावित जोखिम

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ग्रे मार्केट की परिभाषा

ग्रे मार्केट, वह बाजार है जहां सामान या सेवाएं बिना उचित अधिकार या लाइसेंस के बेची जाती हैं। यह बाजार अक्सर उन उत्पादों की बिक्री से संबंधित होता है जो कानूनी रूप से या तो प्रतिबंधित हैं या उन पर कोई मूल्य नियंत्रण लागू नहीं होता। भारत में ग्रे मार्केट का विकास, विशेष रूप से मोबाइल फोन, टेक्नोलॉजी उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधनों में देखा गया है।

ग्रे मार्केट की प्राथमिक विशेषताएँ

ग्रे मार्केट में उत्पाद की कीमतें सीमित बाजार के मुकाबले कम हो सकती हैं। ये उत्पाद आमतौर पर विदेशों से आयातित होते हैं या उन उत्पादों की बिक्री करते हैं जो स्थानीय बाजारों में उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, यह उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद लग सकता है, यह कई जोखिमों का सामना भी करता है।

भारत में ग्रे मार्केट का विकास

हाल के वर्षों में भारत में ग्रे मार्केट का विकास तेजी से हुआ है, विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान। लॉकडाउन और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण, उपभोक्ताओं ने ग्रे मार्केट की ओर रुख किया ताकि वे आवश्यक सामान प्राप्त कर सकें। टेक्नोलॉजी उत्पादों, जैसे कि स्मार्टफोन्स, में ग्रे मार्केट की हिस्सेदारी बढ़ी है।

ग्रे मार्केट के जोखिम

ग्रे मार्केट में उत्पाद खरीदने के कई जोखिम होते हैं:

  • गुणवत्ता का अभाव: ग्रे मार्केट में बेचे जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता की गारंटी नहीं होती।
  • कानूनी समस्याएँ: इस बाजार में उत्पाद खरीदना कानूनी संकट का कारण बन सकता है यदि वे अवैध रूप से आयातित होते हैं।
  • सर्विस और वारंटी की कमी: ग्रे मार्केट में बेचे जाने वाले बहुत से उत्पादों पर निर्माता की वारंटी नहीं होती।

निष्कर्ष

ग्रे मार्केट का विकास आधुनिक समय में विशेष रूप से भारत में महत्वपूर्ण है। जबकि यह उपभोक्ताओं को वैकल्पिक कीमतों पर उत्पाद प्राप्त करने का एक तरीका प्रदान करता है, यह जोखिमों और कानूनी समस्याओं के फंदे में भी डाल सकता है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे ग्रे मार्केट से सावधानीपूर्वक खरीदारी करें और अधिकृत विक्रेताओं से खरीदारी का प्राथमिकता दें। भविष्य में, यदि नियामक ढांचे को मजबूत किया जाए, तो ग्रे मार्केट की गतिविधियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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