ग्रीन पटाखे: पर्यावरण के लिए एक स्थायी विकल्प

ग्रीन पटाखों का महत्व
भारत में हर साल दीवाली के दौरान पटाखों का उपयोग एक प्राचीन परंपरा है। लेकिन इन पटाखों के अत्यधिक उपयोग से वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। ग्रीन पटाखे, जिन्हें कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे माना जाता है, ऐसे विकल्प हैं जो इन समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करते हैं।
ग्रीन पटाखों की विशेषताएं
ग्रीन पटाखों में सल्फर, ब्रोमीन और बिस्मथ जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा कम होती है। यह पटाखे विशेष रूप से ऐसे सामग्रियों से बनाए जाते हैं जो धूप के साथ-साथ जलने के बाद भी प्रदूषण का स्तर कम रखते हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किए गए ग्रीन पटाखे जनवरी 2021 में पेश किए गए थे, जो विशेष रूप से अधिकतम ध्वनि और वायु प्रदूषण के लिए सीमित होते हैं।
वर्तमान में ग्रीन पटाखों का उपयोग
हाल ही में, कई राज्यों ने ग्रीन पटाखों के उपयोग को बढ़ावा देना शुरू किया है। जैसे दिल्ली सरकार ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए हैं। इन पटाखों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सामुदायिक आयोजनों और स्कूलों में शिक्षा कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
आंकड़े और अनुसंधान
अनुसंधानों से पता चला है कि ग्रीन पटाखों के उपयोग से प्रदूषण में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आ सकती है। बोर्ड ऑफ़ फायरवर्क्स ने पिछले साल रिकॉर्ड किया कि ग्रीन पटाखों की मांग में 60% की वृद्धि हुई है, जो लोगों के बीच जागरूकता का संकेत है।
निष्कर्ष
ग्रीन पटाखे न केवल पर्यावरण के लिए एक सुरक्षित विकल्प हैं, बल्कि यह लोगों को दीवाली जैसे त्योहारों का आनंद लेने की अनुमति भी देते हैं। स्थायी विकास की दिशा में एक कदम, ग्रीन पटाखे भारतीय त्योहारों में एक नई जान डाल सकते हैं। अगर इस ट्रेंट को बनाए रखा गया, तो हम वायु प्रदूषण से राहत पा सकते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान कर सकते हैं।