गोवर्धन पूजा: एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व

गोवर्धन पूजा का परिचय
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। यह पूजा भगवान कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करने का एक साधन है, जिन्होंने अद्भुत रूप से गोवर्धन पर्वत की रक्षा की थी। यह तिथि भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब इंद्र देव ने वृंदावन के निवासियों को अपने क्रोध का शिकार बनाया, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गांववालों की रक्षा की थी। इस घटना के स्मरण में गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन भक्तजन पर्वत के प्रतीक के रूप में गोबर से गोवर्धन बनाते हैं और उसके आसपास पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा कैसे मनाते हैं
इस दिन लोग विशेष रूप से पूजन सामग्री का संग्रह करते हैं, जिसमें खाद्य वस्तुएं जैसे चावल, फल, मिठाइयां आदि शामिल होती हैं। भक्तजन गोवर्धन की प्रतिमा का दर्शन करते हैं और उसके साथ तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। आदिकाल से चली आ रही परंपरा के अनुसार, इस पूजा के दौरान विशेष ब्रज भूमि की मिट्टी से निर्मित गोवर्धन की प्रतिमा भी बनाई जाती है, जिसे सजीव प्राथमिकता दी जाती है।
समाज में गोवर्धन पूजा का प्रभाव
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का पर्व भी है। इस दिन परिवार और मित्रों को एकत्रित होने का अवसर मिलता है। समाज में भाईचारा, समर्पण और प्रेम का संदेश फैलाने का यह एक महत्वपूर्ण मौका है। इस पर्व के दौरान विभिन्न स्थानों पर मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भजन कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है।
निष्कर्ष
गोवर्धन पूजा भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो न केवल भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति को दर्शाता है, बल्कि समाज के बीच संबंधों को भी मजबूत बनाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक भावना को जगाता है, बल्कि एकता और प्रेम की भावना को भी बढ़ावा देता है। आगामी वर्षों में गोवर्धन पूजा को और अधिक धूमधाम से मनाने की परंपरा जारी रहने की संभावना है।


