खाद्य सुरक्षा: वर्तमान परिदृश्य और चुनौतियाँ

खाद्य सुरक्षा का महत्व
खाद्य सुरक्षा केवल यह सुनिश्चित करने के बारे में नहीं है कि लोगों के पास खाने के लिए भोजन है; इसमें पोषण, असुरक्षा और सस्ती कीमत का ध्यान भी रखा जाता है। 2023 में, विश्व संगठन ने रिपोर्ट किया कि वैश्विक स्तर पर लगभग 828 मिलियन लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं, जो इस मुद्दे की अत्यधिक महत्ता को दर्शाता है। खाद्य सुरक्षा का अभाव न केवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, बल्कि यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
वर्तमान स्थितियाँ और पहल
भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा को लेकर कई पहल की हैं, जिसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है। इस कानून के माध्यम से, योग्य व्यक्तियों को रियायती दरों पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। इसके बावजूद, भारत में खाद्य असुरक्षा के मामले में सुधार की आवश्यकता है। भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अब भी उचित पोषण से वंचित है।
संकट और चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, और अंतरराष्ट्रीय संघर्षों ने खाद्य सुरक्षा संकट को और बढ़ाया है। विशेष तौर पर, यूक्रेन-रूस युद्ध ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित किया है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और कारोबार में रुकावटें खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही हैं।
भविष्य की दृष्टि
खाद्य सुरक्षा के लिए सरकारों, निजी क्षेत्रों और समुदायों का एकजुट होना आवश्यक है। अधिक टिकाऊ कृषि प्रणाली, खाद्य संसाधनों का समुचित प्रबंधन, और उपभोक्ताओं का पोषण संबंधी जागरूकता खाद्य सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। आने वाले वर्षों में, यदि वैश्विक समुदाय इस दिशा में सामूहिक प्रयास करते हैं, तो भूख को कम करने और खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं।