বৃহস্পতিবার, অক্টোবর 30

क्लाउड सीडिंग: वर्षा बढ़ाने की आधुनिक तकनीक

0
1

क्लाउड सीडिंग क्या है?

क्लाउड सीडिंग एक विज्ञान-आधारित तकनीक है जिसका उपयोग वर्षा को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया बादलों में विशेष रसायनों को छोड़कर की जाती है, जिससे वर्षा के जलवाष्प को ठोस रूप में बदलने और वर्षा उत्पन्न करने में मदद मिलती है। यह तकनीक विशेष रूप से सूखे और बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां जल संसाधनों की सुरक्षा प्राथमिकता होती है।

हालिया घटनाएँ और अनुसंधान

हाल ही में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कुछ राज्यों में क्लाउड सीडिंग प्रयोगों का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन किया है। 2023 में, महाराष्ट्र और कर्नाटका में सूखा राहत के लिए क्लाउड सीडिंग का सहारा लिया गया। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, विशेष रसायनों जैसे सिल्वर आयोडाइड और नमक को बादलों की ऊँचाई पर छोड़कर बारिश को बढ़ाने का प्रयास किया गया।

अनुसंधान में यह देखा गया है कि जब सही परिस्थितियों में क्लाउड सीडिंग की जाती है, तो यह वर्षा की मात्रा में 15 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि कर सकती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति के लिए एक आशाजनक समाधान है।

क्लाउड सीडिंग के फायदे

क्लाउड सीडिंग के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में जल की उपलब्धता को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, यह कृषि उत्पादन में सुधार करने के लिए भी सहायक हो सकता है। संक्षेप में, यह प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखे और बाढ़ के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

निष्कर्ष

क्लाउड सीडिंग एक उभरती हुई तकनीक है जो जलवायु परिवर्तन और जल संकट के समय में आवश्यक हो सकती है। इस तकनीक के सही उपयोग से, भविष्य में जलवायु संबंधी समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सकता है। इसे लेकर अधिक शोध और व्यावसायिक प्रयोग जरूरी हैं, ताकि इसके दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन किया जा सके और जलवायु सुधार के लिए स्थायी समाधान ढूंढे जा सकें। क्लाउड सीडिंग निश्चित रूप से न केवल भारत, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए भविष्य की जल आपूर्ति को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हो सकती है।

Comments are closed.