বুধবার, নভেম্বর 5

करवा चौथ: भारतीय परंपरा और महत्व

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करवा चौथ का परिचय

करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए मनाती हैं। करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।

इतिहास और परंपरा

इस त्योहार का इतिहास प्राचीन किंवदंतियों से भरा हुआ है। कहा जाता है कि माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज से बचाने के लिए इस उपवास को रखा था। इसलिए, इस दिन का महत्व केवल उपवास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत करने का एक साधन भी है।

वर्तमान में करवा चौथ

इस साल, करवा चौथ 2023 को 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सुथरा खा कर दिनभर उपवासी रहती हैं और चांद को देखकर अपने पतियों के लिए अरदास करती हैं। कई महिलाएं इस दिन विशेष पूजा एवं हवन भी करती हैं।

करवा चौथ का महत्व

करवा चौथ केवल उपवास का अवसर नहीं है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और एकत्व का प्रतीक है। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, जहां वे अपने पतियों की सेहत और भले के लिए प्रार्थना करती हैं। पारंपरिक रूप से, महिलाएं इस दिन नए कपड़े पहनती हैं और सजती हैं।

निष्कर्ष

करवा चौथ भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को दर्शाता है। यह त्योहार सिर्फ एक दिन का उपवास नहीं है, बल्कि यह प्रेम और समर्पण की कहानी है, जो पति-पत्नी के रिश्ते को और गहरा बनाता है। हर साल की तरह इस साल भी, करवा चौथ उत्साह और धूमधाम से मनाया जाएगा।

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