সোমবার, ফেব্রুয়ারি 24

‘एलीट’ शब्द की सामाजिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता

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परिभाषा और महत्व

‘एलीट’ शब्द का प्रयोग उन व्यक्तियों या समूहों के लिए किया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र में उच्चतम स्तर पर पहुँचते हैं। ये लोग अक्सर शैक्षणिक, व्यावसायिक, या सांस्कृतिक क्षेत्रों में प्रगति हासिल करते हैं। भारतीय संदर्भ में, ‘एलीट’ वर्ग का सम्बन्ध उन लोगों से है जो विशेषाधिकार, शिक्षा, और आर्थिक संसाधनों के मामले में श्रेष्ठता रखते हैं।

भारतीय समाज में एलीट वर्ग

भारत में एलीट वर्ग की पहचान अक्सर उनकी शिक्षा और सामाजिक स्थिति के आधार पर होती है। उच्च शिक्षा संस्थानों, जैसे आईआईटी और आईआईएम, से निकले लोग अक्सर इस वर्ग का हिस्सा माने जाते हैं। इसके अलावा, बड़े व्यवसायों के मालिक और राजनीति में प्रभावशाली लोग भी इस वर्ग में आते हैं। विशेषकर, कोरोनावायरस महामारी के दौरान, एलीट वर्ग ने न केवल संकट के समय में संसाधनों का उपयोग किया है, बल्कि कई सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

समाज और एलीट के बीच तनाव

हालांकि एलीट वर्ग विकास और बदलाव का प्रतीक हो सकता है, परंतु यह समाज के अन्य वर्गों से भी संबंधित कई चुनौतियों का सामना करता है। जैसे-जैसे भारत में सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ बढ़ती जा रही हैं, एलीट वर्ग और शेष समाज के बीच खाई भी बढ़ रही है। इसके परिणामस्वरूप विभिन्न आंदोलनों का जन्म हुआ है, जो सामाजिक न्याय और समानता के लिए आवाज़ उठाते हैं।

अर्थशास्त्र और एलीट वर्ग का भविष्य

आर्थिक विकास में एलीट वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि यह वर्ग समाज के सभी हिस्सों के साथ मिलकर काम करे। अगर यह वर्ग अपने संसाधनों और ज्ञान को सामाजिक विकास में लगाता है, तो संभवतः भारत की सामाजिक समरसता बढ़ेगी।

निष्कर्ष

‘एलीट’ वर्ग का अध्ययन न केवल भारतीय समाज की समझ के लिए आवश्यक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत में परिवर्तन की आवश्यकता है। अगर हम समानता और न्याय की दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं, तो हमारे एलीट वर्ग को समावेशी और जिम्मेदार तरीके से कार्य करना होगा।

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