মঙ্গলবার, জুন 17

इरानी-इस्राइली संघर्ष: वर्तमान स्थिति और प्रभाव

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परिचय

इरानी-इस्राइली संघर्ष एक जटिल और दीर्घकालिक क्षेत्रीय विवाद है, जो कई दशकों से चला आ रहा है। इस संघर्ष का अंतरराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा, और मध्य पूर्व क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। हाल के वर्षों में, इस संघर्ष की ताजगी ने वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है, खासकर जब से यूक्रेन में युद्ध और नाटो और रूस के बीच ठनाव बढ़ा है।

संघर्ष का इतिहास

यह संघर्ष 1948 में इज़राइल की स्थापना के बाद से शुरू हुआ, जब ईरान ने इस नए राज्य को मान्यता नहीं दी। इसके साथ ही, ईरान ने अपने ऐतिहासिक समर्थन को फ़लस्तीनियों के लिए मजबूत किया। इजरायली सरकार के साथ ईरान के संबंधों में गिरावट आई, जो आज तक बना हुआ है।

हाल के घटनाक्रम

हाल ही में, ईरान की न्यूक्लियर प्रोग्राम के कारण तनाव में उतार आया है। ईरान का दावा है कि उसका न्यूक्लियर कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, लेकिन कई देशों, विशेष रूप से इजराइल और अमेरिका, इसे खतरनाक समझते हैं। 2023 में, इज़राइल की खुफिया सेवाओं ने संकेत दिए हैं कि ईरान न्यूक्लियर हथियार विकसित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। इसके जवाब में, इज़राइल ने ईरान पर हवाई हमले करने की धमकी भी दी है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ईरान-इस्राइली संघर्ष को लेकर अपना अविलंब ध्यान केंद्रित किया है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं ने इस मुद्दे पर वार्ता के माध्यम से समाधान की अपील की है। अमेरिका ने इजराइल का समर्थन किया है, जबकि कई मुस्लिम देशों ने ईरान का पक्ष लिया है।

निष्कर्ष

ईरान-इस्राइली संघर्ष का वर्तमान परिप्रेक्ष्य न केवल मध्य पूर्व में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सुरक्षा और राजनीतिक संतुलन पर प्रभाव डालने वाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस संघर्ष को तुरंत समाप्त नहीं किया गया, तो यह स्थायी क्षेत्रीय अशांति का कारण बन सकता है। इस स्थिति के विकसित होने से पहले ही स्थिति को संभालने के प्रयास आवश्यक होंगे।

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