বৃহস্পতিবার, জুন 19

इजरायली-ईरानी संबंधों पर नज़र

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इजरायली-ईरानी संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ

इजरायल और ईरान के बीच संबंध पिछले कई दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दोनो देशों के बीच संबंध विपरीत दिशा में बढ़े हैं। 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद, ईरान ने इजरायल को अपने दुश्मन के रूप में चिह्नित किया। इसके बाद से दोनों देशों के बीच कई कारणों से तनाव बना हुआ है, जिनमें परमाणु कार्यक्रम, सैन्य गतिविधियाँ और क्षेत्रीय प्रभुत्व शामिल हैं।

हालिया घटनाक्रम

हाल के महीनों में, इजरायली-ईरानी संबंधों में और भी अधिक उथल-पुथल देखी गई है। ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया है, जिससे इजरायल की चिंताएँ और बढ़ गई हैं। इजरायली अधिकारियों का कहना है कि वे ईरान के परमाणु हथियार विकास को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। अप्रैल 2023 में इजरायल ने ईरान के एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाने पर हवाई हमले किए, जिसने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया।

भविष्य की संभावनाएँ

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इजरायली-ईरानी संबंध और भी अधिक जटिल हो सकते हैं। हालाँकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि तनाव में कमी की संभावना भी है, अगर दोनों देशों के बीच संवाद स्थापित करने का प्रयास किया जाए।

महत्व और संक्रांति

इजरायली-ईरानी संबंध न केवल मध्य पूर्व के स्थिरता पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों के लिए, यह मुद्दा एक जटिल और संवेदनशील विषय है। मुद्दे के समाधान से क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं, जबकि अस्थिरता वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।

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