রবিবার, আগস্ট 17

आरटीई: सभी बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार

0
14

आरटीई का महत्व

भारत में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 ने बच्चों के लिए शिक्षा को एक मूलभूत अधिकार बना दिया है। यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देता है। यह नीति शिक्षा में समावेशिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर उन बच्चों के लिए जिन्हें आर्थिक या सामाजिक कारणों से शिक्षा से वंचित रखा गया था।

आरटीई अधिनियम के मुख्य पहलू

आरटीई अधिनियम के अंतर्गत, सरकार ने विशेष रूप से निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है:

  • सभी बच्चों के लिए शिक्षा की उपलब्धता: सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना, इसके लिए स्कूलों को आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है।
  • सक्रिय छात्र नामांकन: शिक्षा के अधिकार के तहत, स्कूलों को अनिवार्य रूप से बच्चों का नामांकन करना होता है, जिसमें निजी विद्यालयों को भी 25% गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करनी होती है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता: छात्रों की व्यक्तिगत गुणवत्ता, शिक्षकों का प्रशिक्षण और स्कूल बुनियादी ढांचे की स्थिति पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

हाल के विकास

हाल के वर्षों में, आरटीई अधिनियम में विभिन्न संशोधनों और सुधारों के प्रस्ताव आए हैं, जिनका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाना है। हालांकि, कुछ राज्य और स्कूल अब भी आरटीई के लक्ष्यों की प्राप्ति में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी ने शिक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं, जिसमें ऑनलाइन शिक्षा का विस्तार हुआ है।

निष्कर्ष

आरटीई कानून ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है, और इसके प्रभाव का पूरा उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। सुनिश्चित करना कि सभी बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करें, केवल सरकारी दायित्व नहीं, बल्कि समाज का भी है। जैसे-जैसे नई तकनीकों का उद्भव होता है, सरकारी और निजी क्षेत्र के सहयोग से और अधिक प्रभावी तरीके खोजे जाने की आवश्यकता है, ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

Comments are closed.