মঙ্গলবার, জুলাই 8

आरटीई अधिनियम: शिक्षा की नई दिशा

0
0

आरटीई अधिनियम का महत्व

आरटीई यानी ‘अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का अधिकार’ अधिनियम, 2009 में भारत में लागू किया गया। यह अधिनियम बच्चों के लिए शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अधिकार सुनिश्चित करता है। इसने 6 से 14 साल के बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार दिया है और इसके अंतर्गत सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का अवसर दिया गया है। इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में समानता और अवसरों को बढ़ावा देना है, विशेषकर संवेदनशील और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए।

आधिकारिक आंकड़े और घटनाएँ

आरटीई अधिनियम के तहत 2021-22 के स्कूल स्मार्ट डायरेक्टरी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, लगभग 97% शहरी और 87% ग्रामीण बच्चों को स्कूल में दाखिला मिला है। हालाँकि, अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ बच्चों की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इसके प्रभावशाली कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों को स्कूलों में शिक्षक की कमी, बुनियादी ढांचे की मांगों और पाठ्यक्रम के अनुसार पुनरुत्पादकता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

आरटीई का भविष्य

हाल के वर्षों में, आरटीई अधिनियम ने शिक्षा में बदलाव लाने की दिशा में एक नई लहर उत्पन्न की है। अब, सरकार शिक्षकों के प्रशिक्षण को प्राथमिकता दे रही है और शिक्षा प्रणाली में नई तकनीकों का समावेश कर रही है। आने वाले वर्षों में, यह उम्मीद की जा रही है कि शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे में सुधार, सीखने की गुणवत्ता में वृद्धि, और शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा।

निष्कर्ष

आरटीई अधिनियम ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में दिशा निर्देश स्थापित किए हैं। यह केवल एक कानून नहीं है, बल्कि यह सभी बच्चों को शिक्षा के माध्यम से अपने भविष्य को आकार देने का एक अधिकार भी है। आगे बढ़ते हुए, यदि राज्य और केंद्रीय सरकारें समर्पणपूर्वक इस अधिनियम को कार्यान्वित करती हैं, तो यह राष्ट्रीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

Comments are closed.