শনিবার, আগস্ট 16

आरएसएस: भारत की राजनीति और समाज में भूमिका

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आरएसएस का परिचय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत का एक प्रमुख स्वयंसेवी संगठन है, जिसे 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापित किया गया था। यह संगठन भारतीय समाज में संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रीयता के उत्थान पर केंद्रित है। आरएसएस का उद्देश्य भारत को एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बनाना है। आज, इसकी गतिविधियाँ केवल सामाजिक कार्यों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि यह राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा है।

वर्तमान घटनाएँ और आरएसएस की सक्रियता

हाल के वर्षों में, आरएसएस ने कई कार्यक्रम और अभियान चलाए हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का प्रयास करते हैं। 2023 में, आरएसएस ने ‘स्वच्छता अभियान’ के तहत कई गाँवों में सफाई कार्य और जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। इसके अलावा, आरएसएस ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयोजन किए, जिसमें दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष पाठ्यक्रम और चिकित्सा शिविर शामिल थे।

राजनीति में आरएसएस की भूमिका

आरएसएस का भारतीय राजनीति में विशेष महत्व है। यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक विचारधारा की रूपरेखा प्रदान करता है। हाल ही में, भाजपा ने आगामी चुनावों के लिए आरएसएस के मार्गदर्शन को आवश्यक बताया है। आरएसएस के प्रमुख नेताओं ने दिल्ली में कई बार भव्य रैलियों का आयोजन किया, जिसमें वे सत्तारूढ़ दल की नीतियों का समर्थन करते हैं और विपक्ष पर भी निशाना साधते हैं।

निष्कर्ष

संक्षेप में, आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो भारत की सामाजिक और राजनीतिक धारा में महत्वपूर्ण उपलब्धियों और योगदान के लिए जाना जाता है। इसकी गतिविधियाँ भारत के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इसकी विस्तृत रणनीतियाँ और कार्यशैली समाज को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। आगे की भविष्यवाणी के अनुसार, यदि आरएसएस की सक्रियता इसी तरह जारी रहती है, तो राजनीतिक और सामाजिक धाराओं में और अधिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

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