রবিবার, জুন 22

आईसीजी: भारतीय तट रक्षक बल की भूमिका और महत्व

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आईसीजी का परिचय

भारतीय तट रक्षक बल (आईसीजी) का गठन 1978 में समुद्री सुरक्षा और समुद्री विज्ञान को सुधारने के उद्देश्य से किया गया था। यह बल भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा करने के साथ-साथ समुद्री आपात स्थिति में सहायता प्रदान करने का कार्य करता है। आज की स्थिति में, विशेषकर कोविड-19 महामारी के दौरान, आईसीजी की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है।

आईसीजी की क्रियाएँ और उपलब्धियाँ

आईसीजी नियमित रूप से न केवल समुद्री सीमा पर निगरानी रखता है, बल्कि यह समुद्री सुरक्षा के अलावा समुद्री प्रदूषण, तस्करी, और मछली पकड़ने में नीतियों का पालन करने को भी सुनिश्चित करता है। हाल ही में, आईसीजी ने कई अभियान चलाए हैं ताकि समुद्र में सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके। 2023 में, इसने कई समुद्री बचाव ऑपरेशनों में भाग लिया, जिसमें विभिन्न आपदाओं के दौरान हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाना शामिल है।

भविष्य की योजनाएँ और पहलें

आईसीजी ने हाल ही में अपने बेड़े को आधुनिक बनाने और नई तकनीकों को अपनाने की योजनाएँ बनाई हैं। इसके अंतर्गत, उन्नत निगरानी प्रणालियाँ, ड्रोन आधारित टोली, और स्वचालित समुद्री पेट्रोलिंग यंत्रों का प्रयोग शामिल है। लगभग 2025 तक, आईसीजी का लक्ष्य है कि यह स्वच्छ समुद्र, समुद्री सुरक्षा, और स्थायी विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

निष्कर्ष

आईसीजी की भूमिका आज के जटिल वैश्विक परिदृश्य में बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। हमारी समुद्री सीमाएँ न केवल आर्थिक से लेकर सामरिक महत्व रखती हैं, बल्कि यह पारस्परिक सहयोग का भी एक साधन हैं। इस बल के प्रयासों के चलते, भारत वैश्विक समुद्री सुरक्षा में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करवा रहा है और इसके लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद की जा सकती है।

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