সোমবার, সেপ্টেম্বর 15

अन्नादुरै: द्रविड़ राजनीति के संस्थापक

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अन्नादुरै का जीवन परिचय

अन्नादुरै, जिनका जन्म 15 सितंबर 1909 को तंजावुर, तमिलनाडु में हुआ था, भारत के एक प्रमुख नेता और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें द्रविड़ आंदोलन का नेता माना जाता है। अन्नादुरै ने तामिलनाडु में समाजवादी विचारधारा को फैलाने का कार्य किया और उन्होंने 1967 से 1976 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम

अन्नादुरै ने 1949 में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, जातिवाद उन्मूलन और तामिल संस्कृति का संरक्षण था। उन्होंने DMK को 1967 के विधानसभा चुनाव में सफलता दिलाई, जिससे यह पहली बार राज्य की सत्ता में आई। अन्नादुरै के नेतृत्व में, DMK ने कई राज्य कल्याण योजनाएं शुरू कीं, जिसमें मुफ्त स्कूल किताबें, अनुदानित भोजन और संसाधनों का वितरण शामिल था।

महत्त्वपूर्ण नीतियाँ और उपलब्धियाँ

उनकी सरकार ने अनेक महत्त्वपूर्ण पहल कीं, जैसे कि शिक्षा का विस्तार, ग्रामीण विकास, और महिलाओं के अधिकार। उन्होंने और उनकी पार्टी ने न केवल तामिल संस्कृति को लागू किया बल्कि सामाजिक व आर्थिक बदलाव भी लाए। अन्नादुरै का मानना था कि शिक्षा से ही समाज में समृद्धि आएगी, इसलिए उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता दी।

विरासत और प्रभाव

अन्नादुरै का निधन 3 फरवरी 1969 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके विचार और नीतियाँ आज भी DMK के राजनीतिक मूल सिद्धांतों का आधार हैं। उनका योगदान न केवल तामिलनाडु बल्कि संपूर्ण भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ता है। तामिलनाडु में अन्नादुरै को श्रद्धांजलि देने के लिए कई स्मारक और योजनाएं स्थापित की गई हैं।

निष्कर्ष

अन्नादुरै की कहानी भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय अध्याय है। उनका नेतृत्व, विचारधारा और सामाजिक बदलाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी प्रेरणा प्रदान करती है। भविष्य में, उनके सिद्धांत और विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले नेता आवश्यक हैं जो समाज में असमानताओं के खिलाफ खड़े हो सकें।

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अन्नादुरै: द्रविड़ राजनीति के संस्थापक

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अन्नादुरै का जीवन परिचय

अन्नादुरै, जिनका जन्म 15 सितंबर 1909 को तंजावुर, तमिलनाडु में हुआ था, भारत के एक प्रमुख नेता और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें द्रविड़ आंदोलन का नेता माना जाता है। अन्नादुरै ने तामिलनाडु में समाजवादी विचारधारा को फैलाने का कार्य किया और उन्होंने 1967 से 1976 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।

द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम

अन्नादुरै ने 1949 में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, जातिवाद उन्मूलन और तामिल संस्कृति का संरक्षण था। उन्होंने DMK को 1967 के विधानसभा चुनाव में सफलता दिलाई, जिससे यह पहली बार राज्य की सत्ता में आई। अन्नादुरै के नेतृत्व में, DMK ने कई राज्य कल्याण योजनाएं शुरू कीं, जिसमें मुफ्त स्कूल किताबें, अनुदानित भोजन और संसाधनों का वितरण शामिल था।

महत्त्वपूर्ण नीतियाँ और उपलब्धियाँ

उनकी सरकार ने अनेक महत्त्वपूर्ण पहल कीं, जैसे कि शिक्षा का विस्तार, ग्रामीण विकास, और महिलाओं के अधिकार। उन्होंने और उनकी पार्टी ने न केवल तामिल संस्कृति को लागू किया बल्कि सामाजिक व आर्थिक बदलाव भी लाए। अन्नादुरै का मानना था कि शिक्षा से ही समाज में समृद्धि आएगी, इसलिए उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता दी।

विरासत और प्रभाव

अन्नादुरै का निधन 3 फरवरी 1969 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनके विचार और नीतियाँ आज भी DMK के राजनीतिक मूल सिद्धांतों का आधार हैं। उनका योगदान न केवल तामिलनाडु बल्कि संपूर्ण भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ता है। तामिलनाडु में अन्नादुरै को श्रद्धांजलि देने के लिए कई स्मारक और योजनाएं स्थापित की गई हैं।

निष्कर्ष

अन्नादुरै की कहानी भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय अध्याय है। उनका नेतृत्व, विचारधारा और सामाजिक बदलाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी प्रेरणा प्रदान करती है। भविष्य में, उनके सिद्धांत और विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले नेता आवश्यक हैं जो समाज में असमानताओं के खिलाफ खड़े हो सकें।

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