শুক্রবার, মে 30

अनुस्मृति एनटीआर: दक्षिण भारतीय सिनेमा के पितामह

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एनटीआर का महत्व

नंदमुरी तारक रामा राव, जिन्हें एनटीआर के नाम से जाना जाता है, भारतीय सिनेमा की दुनिया में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनका योगदान ना केवल अभिनय में, बल्कि राजनीति में भी अविस्मरणीय है। एनटीआर ने अपने करियर की शुरुआत 1949 में की और लगभग चार दशकों तक फिल्म उद्योग में सक्रिय रहे। उनके प्रभावशाली चरित्रों ने दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई और उन्हें ‘महानायक’ का दर्जा हासिल हुआ।

फिल्मी करियर

एनटीआर ने कई हिट फिल्मों में प्रदर्शन किया, जिनमें ‘ब्रह्मा राक्षस’, ‘नीनू नाकू नेचतु’ और ‘श्यामाप्रसाद’ शामिल हैं। एनटीआर ने विशेष रूप से mythological फिल्मों में अदाकारी की, जो उन्हें पूरे देश में लोकप्रिय बनाने में सहायक रही। उनकी लीडिंग भूमिकाएं दर्शकों के दिलों में एक स्थायी छाप छोड़ गईं।

राजनीतिक जीवन

सिर्फ फिल्म उद्योग में ही नहीं, एनटीआर ने राजनीति के क्षेत्र में भी कदम रखा और 1982 में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की स्थापना की। उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया और उनके नेतृत्व में पार्टी ने जनता के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की। एनटीआर की राजनीतिक दृष्टि और समाज सेवा ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई।

विरासत

एनटीआर की विरासत आज भी जीवित है। उनकी जीवनी पर आधारित अनेक पुस्तकें, डॉक्यूमेंट्री और फिल्में बनाई गई हैं, जो उनके योगदान को उजागर करती हैं। एनटीआर की जयंती 28 मई को बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, जिसमें फैंस एवं सेलिब्रिटीज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

निष्कर्ष

एनटीआर के योगदान को केवल एक अभिनेता या नेता के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि वे समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से रहे हैं। उनकी कला और सेवा के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें एक अनंत काल के लिए लोकप्रिय बना दिया है। उनके कार्यों की सराहना हमेशा की जाएगी और वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

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